Sunday, July 11, 2010

कैसी है ये दुर्दसा, कैसा अत्याचार
चारो ओर मच रहा, ये कैसा हाहाकार,
भाषाण तक ही सिमटी है, ये नपुंसक सरकार
वरना क्या न होना चाहिए,नक्सालियो का संहार
खून की नदियाँ बह रही है और लाशें पड़ी हज़ार
अब भी कुछ न कर सको तो छोड़ दो ये विचार
की २ रूपये के चावल
के बल पर चला लोगे तुम सरकार

Saturday, July 10, 2010

छत्तीसगढ़ में चल रहे शिक्षाकर्मी भर्ती में हो रहे गडबडझाले पर नजर डाले तो एक नयी चीज नजर आती है की अचानक ही इस राज्य में बधिरों की संख्या में बड़ी तेजी से इजाफा हुआ है और इसका श्रेय जाता है यहाँ के डॉक्टरो
को जो महज २०,०००-२५,००० रूपये में किसी को भी बधिर बना दे रहे है ,चोंकीये मत ये केवल प्रमाण पत्र ही दे रहे है जिसकी बदौलत बेरोजगार इस कोटे में आराम से नौकरी हांसिल कर लेते है और इसे प्रमाणित करना भी बहुत आसान होता है की आपको आंशिक रूप से ही सुनाई देता है , ऐसा नहीं है की जनपद या जिला पंचायत को इसकी भनक नहीं है पर जहा उपर से निचे तक सभी मिले हो वहा इस पर रोक लगना मुश्किल ही है , और फिर बेरोजगार तो नौकरी पाने के लिए जो न कर ले वो कम ही है , पर इनके चलते १ योग्य आदमी इस नौकरी से वंचित रह जा रहा है

Sunday, June 27, 2010

ये क्या हो रहा है ?
छत्तीसगढ़ में हो रहे एक गोलमाल पर आपका ध्यान आकर्षित करते हुए यहाँ एक बात सामने लाना चाहूँगा की पिछले पांच साल के अंदर जितनी भी रिक्तियाँ स्वास्थ्य विभाग में है और उनको पूरा करने के लिए जितने भी परीक्षा आयोजित किये गए उनमे से किसी के भी परिणाम नहीं निकले गए, हाँ, खानापूर्ति अवश्य कर ली गयी फिर चाहे वो सिम्स में निकले पद हो या फिर मलेरिया विभाग , सभी का हाल एक सा है परीक्षा या आवेदन तो जरुर लिए जाते है किन्तु परिणाम नहीं निकले जाते जिन पर किसी का भी ध्यान नहीं है न तो सरकार का और न ही मीडिया का , जबकि इन रिक्तियों पर न तो किसी प्रकार की कोई आपतियाँ लगाई गयी है और न ही कोर्ट के द्वारा कोई बैन ही लगाया गया है